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Wednesday, January 24, 2024

धार्मिक पर्यटन का केंद्र है भारत

डॉ राहुल सिंह निर्देशक राज ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन वाराणसी की कलम से

धार्मिक पर्यटन का एक पहलू यदि धार्मिक और आध्यात्मिक सरोकार हैं तो दूसरा पहलू धार्मिक स्थलों का आर्थिक और सामाजिक विकास भी है। भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पर्यटन उद्योग भारत के कुल कार्यबल का लगभग 6 प्रतिशत रोजगार देता है। धर्म और अध्यात्म भारत की आत्मा है। यह धर्म ही है, जो भारत को उत्तर से दक्षिण तक और पूरब से पश्चिम तक एकात्मता के सूत्र में बांधता है। भारत की सभ्यता और संस्कृति का अध्ययन करते हैं तो हमें साफ दिखायी देता है कि धार्मिक पर्यटन हमारी परंपरा में रचा-बसा है। तीर्थाटन के लिए हमारे पुरखों ने पैदल-पैदल ही इस देश को नापा है। भारत की सभ्यता एवं संस्कृति विश्व समुदाय को भी आकर्षित करती है। हम अनेक धार्मिक स्थलों पर भारतीयता के रंग में रंगे विदेशी सैलानियों को देखते ही हैं।



दरअसल, भारत को दुनिया में सबसे ज्यादा धार्मिक स्थलों का देश कहा जाता है। एक अनुमान के अनुसार, देशभर में पांच हजार से अधिक सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं। हालांकि, हमारे लिए तो प्रत्येक धार्मिक स्थल श्रद्धा का केंद्र है। भारत के शहर-शहर में कई ऐसे स्थान हैं, जहां देशभर से लोग पहुंचते हैं। मथुरा, वृंदावन, अयोध्या, काशी, उज्जैन, द्वारिका, त्रिवेंद्रम, कन्याकुमारी, अमृतसर, जम्मू-कश्मीर, पुरी, केदारनाथ, बद्रीनाथ इत्यादि ऐसे स्थान हैं, जहां न केवल भारतीय नागरिक बड़ी संख्या में पहुंचते हैं अपितु विदेशी और भारतीय मूल के नागरिक श्रद्धा के साथ आते हैं। पिछले आठ-दस वर्षों में भारत के धार्मिक पर्यटन में उत्साहजनक वृद्धि हुई है। विश्व के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने न केवल धार्मिक स्थलों को पुनर्विकसित कराया है, अपितु आगे बढ़कर धार्मिक पर्यटन का प्रचार-प्रसार भी किया है। जिसके परिणाम हमें धार्मिक पर्यटन में हो रही वृद्धि के रूप में दिखायी देते हैं। विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, देश के कुल पर्यटन में 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी धार्मिक पर्यटन की है। आज देश के पर्यटन उद्योग में 19 प्रतिशत की वृद्धि दर अर्जित की जा रही है जबकि वैश्विक स्तर पर पर्यटन उद्योग केवल 5 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज कर रहा है।

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भारत सरकार की पहल पर पर्यटन मंत्रालय ने कुछ वर्ष पहले धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए चरणबद्ध विकास योजना तैयार की थी। इसमें 53 धार्मिक स्थानों को वरीयता के आधार पर पहले चरण में विकसित जा रहा है। इनमें से कई धार्मिक स्थल पूर्ण रूप से विकसित हो चुके हैं। उल्लेखनीय है कि दूसरे चरण में 89 जगहों पर काम होगा। वर्तमान समय में राष्ट्रीय विचार की सरकार केंद्र में है, उसके अब तक के कार्यकाल के आधार पर अनुमान लगाया जा सकता है कि हिन्दू संस्कृति के प्रसार हेतु धार्मिक पर्यटन स्थलों को विकसित करने का यह क्रम आगे भी लगातार चलता रहेगा। देश को सात नए टूरिज्म सर्किट में भी बांटा गया है। ये सर्किट सूफी, बौद्ध, जैन, ईसाई, सिख, हिन्दू और सर्वधर्म के तौर पर विकसित किए जा रहे हैं। धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना सरकार की प्राथमिकता में है। इस बात को यूं भी समझ सकते हैं कि बड़े तीर्थस्थलों पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं भी बार-बार जा रहे हैं। केदारनाथ और सोमनाथ परिसर का उन्होंने कायाकल्प कर दिया है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर ने तो दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और महाकाल लोक की प्रसिद्धि एवं सफलता के बाद से अनेक स्थानों पर धार्मिक पर्यटन को विकसित किया जा रहा है।

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 भारत सरकार ने ‘तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक वृद्धि अभियान’ (प्रसाद) नाम से एक योजना शुरू की है। प्रसाद योजना का उद्देश्य प्रमुख धार्मिक स्थलों के बुनियादी ढांचे एवं सुविधाओं में सुधार करना है। इसे 2015 में पर्यटन मंत्रालय द्वारा ‘स्वदेश दर्शन योजना’ के हिस्से के रूप में प्रारंभ किया गया था। सरकार ने 1586.10 करोड़ रुपए की 45 विकास योजनाओं को स्वीकृति दी गई है। भारतीय संस्कृति की गूंज दुनिया को सुनायी दे, इस मन्तव्य के साथ ही सरकार इसलिए भी धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दे रही है क्योंकि यह लोगों को वृहद स्तर पर रोजगार दे रहा है। धार्मिक पर्यटन का एक पहलू अगर धार्मिक और आध्यात्मिक सरोकार हैं तो दूसरा पहलू धार्मिक स्थलों का आर्थिक और सामाजिक विकास भी है। भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पर्यटन उद्योग भारत के कुल कार्यबल का लगभग 6 प्रतिशत रोजगार देता है। धार्मिक पर्यटन स्थलों से सरकार को वर्ष 2022 में 1,34,543 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। जबकि यही आंकड़ा 2021 में 65,070 करोड़ रुपये का था। पर्यटन मंत्रालय के अनुसार 2022 में देशी पर्यटकों की संख्या 143.3 लाख करोड़ रही तथा 66.40 करोड़ विदेशी पर्यटक भारत आए।

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